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कांग्रेस विधायक उम्मीदवार लापता है या अज्ञातवास पर?

कांग्रेस विधायक

सोमेश्वर कांग्रेस विधायक उम्मीदवार लापता?

वर्ष 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सोमेश्वर विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार राजेंद्र बाराकोटी पिछली बार की तरह इस बार भी चुनाव हारने के बाद से ही मानो लापता हो गए हैं। विधानसभा के कांग्रेस कार्यकर्ता न तो उनकी गुमशुदगी दर्ज कर रहे हैं और न ही उन्हें जनता से रूबरू होने के लिए कह रहे है, जिसपर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। (कांग्रेस विधायक)

कांग्रेस विधायक उम्मीदवार पर क्या कह रहे हैं लोग?

कुछ लोगों का कहना है कि वो अज्ञातवास पर गए हैं, अगले 4 सालों तक वहां घोर तपस्या करने के बाद 2027 के चुनाव से पहले-पहले मैदान में दिखेंगे और एक बार फिर कांग्रेस के टिकट तथा कार्यकर्ताओं के पैसों पर अपने लिए वोट मागेंगे ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके और उन्हें पेंशन मिल सके। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि राजेंद्र बाराकोटी को चुनाव हारने के बाद बहुत बड़ा सदमा लगा है और वो सोमेश्वर की जनता से नाराज चल रहे हैं इसीलिए किसी भी कार्यक्रम में नजर नहीं आ रहे हैं।

2017 और 2022 में मिल चुकी है हार

आपको बता दें कि राजेंद्र बाराकोटी चुनाव के दौरान गांव-गांव, घर-घर जाकर वोट मांग रहे थे, सोमेश्वर में आयोजित एक कार्यक्रम में वोटों के लिए गिड़गिड़ा भी रहे थे लेकिन जनता ने उन्हें 5000 से ज्यादा वोटों से हराकर नकार दिया जबकि पिछली बार यानी 2017 में वो मात्र 800 वोटों से ही हारे थे।

इस करारी हार पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना था कि सोमेश्वर की जनता कूकर और शराब में बिक गई इसीलिए राजेंद्र बाराकोटी को वोट नहीं मिले जबकि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को इस बात का मंथन भी करना चाहिए था कि आखिर सरकार के खिलाफ़ इतनी नाराजगी के बावज़ूद वो जनता का भरौसा जीतने में सफल क्यों नहीं हो पाए? क्यों आखिर अस्पताल, सड़क जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे चुनाव के दौरान गायब हो गए।

आखिर क्यों अपने घरों में दुबके पड़े हैं कांग्रेसी?

जनता ऐसे लोगों को वोट दे भी तो आखिर क्यों दे? स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे इतने सारे मुद्दों के बावज़ूद कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर प्रदर्शन करने के बजाय अपने घरों में दुबके पड़े हैं और उनके विधायक उम्मीदवार तो मानो लापता ही हो गए हैं।

चुनाव के बाद ईवीएम को दोष देने से बेहतर है जनहित के मुद्दों पर चर्चा करते हुए उनके समाधान के लिए सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया जाए।

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कांग्रेसजनों को आराम पसंद है

दुर्भाग्य देखिए स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री और कांग्रेस के नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू के कथन “आराम हराम है” के बावज़ूद उनके कार्यकर्ताओं और नेताओं को आराम ही पसंद है क्योंकि लंबे समय तक सत्ता का सुख भोगने के बाद कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को कुर्सी में बैठने की आदत हो गई है शायद इसीलिए वे लोग सड़कों पर उतरकर अपनी विपक्ष की भूमिका निभाने से कतरा रहे हैं।

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