उत्तराखंड में लंपी वायरस से हजारों गायों की मौत
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लंपी स्किन डिजीज यानी लंपी वायरस से ग्रसित जानवरों की संख्या बढ़ती जा रही है। हजारों गायैं इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि सैकड़ों गाय इस बिमारी की चपेट में आने से मर गई हैं, ग्रामीण इलाकों में लोगों को इस बिमारी से बचाव के लिए दवाइयां नहीं मिल पा रही है।
सोमेश्वर क्षेत्र की अगर बात करें तो यहां के गोपालक बहुत परेशान है, उनका कहना है कि सरकारी अस्पतालों में दवाइयां नहीं मिलने की वजह से काफी नुकसान हो रहा है, सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है।सामाजिक संगठनों और सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ देश भर में गाय के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों का ध्यान भी इस तरफ नहीं जाता है।
लंपी वायरस एक महामारी
आपको बता दें कि लंपी वायरस से देश भर में लाखों गायों ने अपनी जान गवाई है, शुरुआत में यह बिमारी राजस्थान के कंई इलाकों में फैली थी लेकिन धीरे-धीरे इसने देश के सभी राज्यों में तबाही मचाना शुरू कर दिया।सबसे बड़ी बात यह है कि यह बिमारी गौवंश को ही प्रभावित कर रही है जबकि भैंस पर इसका कोई असर नहीं है।
लक्षण और फैलने के कारण
गायों के शरीर पर छोटी-छोटी गांढें बन रही हैं और बाद में वह फट जा रहे हैं और उनमें से रक्त बहने लग जा रहा है। साथ ही उन्हें बुखार आ रहा है और शरीर बिल्कुल कमजोर हो जा रहा है। बताया जा रहा है कि मक्खियों के द्वारा यह बिमारी एक जानवर से दूसरे जानवर तक पहुंच रहा है।
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इस बीमारी से बचाव हेतु सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस करते हुए पर्याप्त दवाइयों का इंतजाम और इनके बचाव के तरीकों का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार कराना चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के उन गोपालकों को राहत मिल सके जिनकी अर्थव्यवस्था गायों पर निर्भर है।
आपको बता दें कि सोमेश्वर घाटी के मनान, रनमन और मनसारीनाला क्षेत्र में सबसे ज्यादा मामले नजर आ रहे हैं, मनान की तरफ दवाईयों की सबसे बड़ी किल्लत बताई जा रही है।
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