उत्तराखंड ने 5 कमल खिलाकर दिए बदले में मिला ठेंगा!
लोकसभा चुनावों में जिन सांसदों को उत्तराखंड की जनता चुनकर दिल्ली भेजती है वो लोग आखिर यहां की समस्याओं को संसद में उठाने में असमर्थ क्यों हो जाते हैं?
उत्तराखंड की जनता ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी को पांच के पांच कमल खिलाकर दिए हैं, पिछले 8 सालों से यहां डबल इंजन की सरकार है और 10 सालों से यहां के सभी सांसद मोदी जी के नाम पर ही चुनाव लड़ते हैं और उन्हीं के नाम पर चुनाव जीतकर राजनीतिक सुखों का आनंद लेते हैं।
2024 की लोकसभा चुनावों की घोषणा होने से पहले उत्तराखंड में सांसदों की निष्क्रियता के कारण जनता की नाराजगी को देखते हुए यहां के लगभग सभी सांसदों के टिकट काटे जाने की काफी चर्चा हुई थी परंतु 3 संसदीय क्षेत्रों जिसमें नैनीताल से अजय भट्ट, अल्मोड़ा से अजय टम्टा और टिहरी में माला राज लक्ष्मी को फिर से टिकट दिया गया, सांसदों के प्रति लोगों में नाराजगी होने के बावजूद मोदीजी के नाम पर इन तीनों सीटों सहित प्रदेश के पांचों सीटों पर भाजपा को ही वोट मिला, एक बार फिर उत्तराखंड में 5 कमल खिले।(उत्तराखंड । जनता)
जनता के सवाल ही सवाल हैं
वैसे तो भाजपा सांसदों से उत्तराखंड की जनता के कई सवाल हैं पर सबसे मुख्य सवाल यही है कि ‘पिछले 10 सालों से उत्तराखंड की जनता ने आपको भरपूर प्यार और समर्थन देकर दिल्ली भेजा लेकिन तुमने बदले में उनके लिए कुछ भी नहीं किया, उत्तराखंड से आखिर कब तक सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के नाम पर यहां से पलायन होता रहेगा? कभी सोचा इस बारे में! आखिर तुम लोग इतने एहसानफरामोश क्यों हो गए?’
मोदीजी से भी हैं कुछ सवाल
कुछ सवाल आज उत्तराखंड की जनता मोदीजी से भी पूछना चाहती है कि “मोदीजी आप हर बार उत्तराखंड का पानी और उत्तराखंड की जवानी उत्तराखंड के काम आने की बातें करते हैं लेकिन यहां से हो रहे पलायन पर कोई विशेष नीति क्यों नहीं बना पाते हैं?
यूपीए सरकार में उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था यहा के लिए अलग से ग्रीन बोनस देने की बातें की जा रही थी वो मोदीजी के प्रधानमंत्री बनते ही आखिर ठंडे बस्ते में क्यों डाल दी गई?”
उत्तराखंड की जनता ने लगातार तीन बार 5 के 5 कमल खिलाकर दे दिए आपको और दो बार लगातार राज्य की कमान दे दी है फिर भी हमारे साथ इतना भेद-भाव क्यों किया जा रहा है?
जनता की उम्मीदों पर कितनी खरी उतर पायी भाजपा?
अब हम बात करेंगे मोदी सरकार को उत्तराखंड की जनता ने भरपूर प्यार दिया लेकिन क्या सरकार उत्तराखंड की जनता की उम्मीद पर खरी उत्तर पायी?
उत्तराखंड देवों की भूमि के साथ-साथ वीरों की भूमि भी है यहां से हर साल हजारों लड़के सेना में भर्ती के लिए जाते थे और यहां के युवाओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए उन पर एक बार नहीं तीन-तीन बार भरोसा जताया है लेकिन उन्हें बदले में क्या मिला आर्मी की जगह अग्निवीर! समूह ग की भर्तियों की जगह पेपर लीक!
महिला सुरक्षा के नाम पर प्रदेश की महिलाओं ने मोदी सरकार का हमेशा साथ दिया है लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला अंकिता भंडारी हत्याकांड! भू-कानून और मूल निवास 1950 की मांग पर लाठीचार्ज!
डबल इंजन के बावजूद बढती महंगाई, लगातार होता पलायन, इलाज के आभाव में मरते लोग और सड़क न होने के कारण रास्तों में, नदी किनारे होते प्रसव!
और भी हजारों समस्याएं हैं उत्तराखंड की जनता जिनसे त्रस्त है लेकिन किसी भी समस्या का समाधान निकालने के बजाए अपनी धुन में मगन हैं भाजपा और उनके पन्ना प्रमुख।(उत्तराखंड । जनता)
उत्तराखंड को सपने दिखाकर भूल जाती है सरकार
विधानसभा चुनाव के दौरान मोदीजी ने हल्द्वानी को 2000 करोड़ का उपहार देने की बात की थी, जनता जानना चाहती है कि आख़िर वो 2000 करोड़ यहां के मेयर खा गए या सांसद? वैसे ही देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने की बात कही गई थी जिसका आज कोई अता-पता नहीं है, टनकपुर-बागेश्वर रेललाइन, टनकपुर-जोलजीबी व रामनगर-चौखुटिया रेललाइन तो एक सपना ही बनकर रह गया है।
जनता की नब्ज़ मोदीजी के हाथ में
चुनावों के दौरान मोदीजी पहाड़ी टोपी पहनकर 2-4 शब्द कुमाऊनी और गढ़वाली बोल देते हैं, केदारनाथ- बद्रीनाथ के नाम पर बड़ी-बड़ी शास्त्र सम्मत बातें करके लोगों को गौरवान्वित महसूस कराया जाता है और उत्तराखंड की जनता के लिए वही सबकुछ हो जाता है और जनता दिल खोलकर वोट करती है, मोदीजी का यह नुस्खा विधानसभा से लेकर लोकसभा तक हर बार कारगर साबित हुआ है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड की जनता ने इस लोकसभा चुनावों में भी भाजपा के अलावा कोई अन्य मजबूत विकल्प नजर नहीं आने के कारण तीसरी बार फिर मजबूरी में भाजपा को वोट दिया है और जिस प्रकार टिहरी व हरिद्वार में निर्दलीय उम्मीदवार को भर-भरकर वोट गए हैं और अन्य जगहों पर नोटा को वोट दिए गए हैं उसे देखकर लगता है कि भाजपा के पन्ना प्रमुखों के अलावा प्रदेश की जनता को भाजपा के सांसदों से कोई भी उम्मीद नहीं है हां ये जरूर है कि जनता का मोदीजी और योगीजी पर भरौसा आज भी कायम है।