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एक रात में नौ लाख हिंदुओं ने किया था इस मंदिर का निर्माण

आख़िर खतरे में क्यों धार्मिक स्थल

आज हम एक ऐसे मंदिर की बात करेंगे जिसके निर्माण में 9 लाख मजदूरों ने काम किया और इस मंदिर का निर्माण केवल एक रात में पूरा कर लिया गया , जो कि हमारे उत्तराखंड में स्तिथ है। लेकिन सरकारों की अनदेखी के कारण हजारों साल पुराने मंदिर दशा बदल गई और उसे सुधारने के नाम पर किसी भी पार्टी या किसी भी नेता ने ध्यान नहीं दिया । आज इस लेख में हम विस्तार से बात करने वाले हैं उस मंदिर के वर्तमान के बारे में (Uttarakhand Temple Series)

यह मंदिर है इसलिए खास

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले में स्थित बैजनाथ धाम लाखों-करोड़ों हिन्दुओं के आस्था का बड़ा केन्द्र रहा है। लेकिन अब जगह जगह बन रहे चमक धमक मंदिरों के आगे धार्मिक महत्व वाले मंदिरों पर भक्तों का आना कम हो गया है ।। क्योंकि आज अनेक बिजनेसमैन मंदिर बना रहे हैं और भगवानों को बिजली की मालाओं से चमकाने के बाद अपनी किस्मत चमका रहे हैं और जो सच में धार्मिक महत्व वाले स्थान हैं वह धीरे- धीरे कम हो रहे हैं .. (Uttarakhand Temple Series)

Uttarakhand Temple Series

बैजनाथ पौराणिक मंदिरों की स्थली

बैजनाथ अपने पौराणिक मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यहां पर 18 मंदिरों का एक समूह था जिसके केंद्र में भगवान शिव का मंदिर था। जिसके अब अवशेष मात्र ही अब वर्तमान में हैं।

इन देवी-देवताओं का वास

बैजनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा यहां सूर्य, ब्रह्म, कुबेर, चंडी, काली आदि के मंदिर हैं। यहाँ मौजूद अधिकांश देवी-देवताओं की मूर्तियों को पुरातत्विक संग्रहालय में रखा गया है। बैजनाथ के मंदिरों के एेतिहासिक धरोहर होने की वजह से इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा उत्तराखंड में मौजूद राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारक का दर्जा दिया है।

लेकिन भारतीय पुरातत्व विभाग ने जितने भी मंदिरों को अपने हाथ में लिया उन मंदिरों में फिर कोई भी पुनः निर्माण नहीं हुआ जिस कारण से मंदिर अपनी दिशा से परिवर्तित होते जा रहे हैं पत्थर और चूने की सहायता से बने यह मंदिर नष्ट हो रहे हैं ।। और भारतीय पुरातत्व विभाग केवल संरक्षण का नाम मात्र विभाग बना हुआ है ।।

कीचड़ से भरी पड़ी कृत्रिम झील

बैजनाथ धाम के समीप कल-कल, छल-छल बह रही गोमती नदी पर कत्रिम झील का निर्माण सिंचाई विभाग ने किया है। लेकिन इस कृत्रिम झील की कोई सफाई करने तक की नहीं सोचता जिससे इसका पानी गंदा ही रहता है ।।

इसी मंदिर को एक रात में बनाया गया था

यकीन करो या न करो पर ये सच है कि उत्तराखंड के इस मंदिर को एक रात में बनाया गया था।
और इस मंदिर को बनाने में 9 लाख मजदूर लगे थे , इस मंदिर को बैजनाथ मन्दिर नाम से जाना गया । यह मन्दिर लगभग 1000 साल पुराना है। यह एकमात्र दुनिया का ऐसा मंदिर है जिसके निर्माण में 9 लाख लोगों ने काम किया ।।

हिंदुओं के बदलता चरित्र चिंताजनक 

बदलते हिंदुओं का चरित्र एक व्यापक और जटिल विषय है, जिसमें कई सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक पहलुओं का समावेश होता है। लेकिन यह मुख्य हैं ।

1. आज के हिंदू समाज में तकनीकी का बड़ा प्रभाव है। युवा पीढ़ी इंटरनेट, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से नई सोच और विचारों को अपनाने लगी है। और अपनी प्रथाओं को भूल रहे हैं ।। बाबाओं को गुरु और गुरुओं को बाबा मानने लगे हैं ।।

लोग अब जब घूमने का प्लान करते हैं तो तब मंदिरों की सूची तैयार की जाती है कि हम इस मंदिर में घूम कर आते हैं और यही घूमने की प्रवृत्ति धार्मिक स्थलों के महत्व को कम कर रही है जहां भक्ति नहीं वहां फिर शक्ति भी नहीं मिलती कहा जा सकता है।। कुछ लोगों को मंदिर के महत्व से कोई लेना देना नहीं रह गया है वह मस्ती करने मंदिरों में जाया करते हैं ।। यह प्रवृत्ति धर्म के लिए हानिकारक महसूस होती है।।

2. हिंदू धर्म की विविधता ने लोगों को विभिन्न परंपराओं और विश्वासों के प्रति आखों में काला चश्मा पहना दिया है ।। नई पीढ़ी के मां बाप इसके ज़िम्मेदार माने जा सकते हैं ।। माना विज्ञान ने खूब तरक्की की हो लेकिन हिंदू धर्म का सिकुड़ता हुआ क्षेत्रफल और हिंदुओं के द्वारा ही मंदिरों पर उठ रहे सवाल बड़े संकट की ओर इशारा करते हैं ।।

3. आज के हिंदू समाज में राजनीतिक जागरूकता बढ़ी है। और धार्मिक जागरुकता कम हो गई है, नेताओं ने धर्म को धंधा बना दिया है ।। यह सामूहिक रूप से समाज को प्रभावित कर रहा है। किसी एक विशेष मंदिर पर विशेष फोकस किया जाता है जिससे अनेक सारे लोग एक ही स्थान में जमा होते हैं और अव्यवस्थाएं फैलती हैं बल्कि होना यह चाहिए कि सभी मंदिरों को उनकी धार्मिक महत्वता को ना छेड़ते हुए नए स्वरूप में विकसित करना चाहिए जिससे कि लोग अलग-अलग मंदिरों में जाएं और व्यवस्थाएं भी ना बने।।

Uttarakhand Temple Series 1

निष्कर्ष

इसलिए इसका पूरा निष्कर्ष यह निकलता है कि कुछ मंदिरों पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिसमें से कुछ पृथ्वी में जन्मे उन बाबाओं के हैं या यूं कहें कि सिद्ध पुरुषों के हैं जिन्होंने कुछ चमत्कार किया हो लेकिन हजारों साल पुराने बैजनाथ जैसे अनेक मंदिरो को अनदेखा किया जा रहा है ।।

 

error: थोड़ी लिखने की मेहनत भी कर लो, खाली कापी पेस्ट के लेखक बन रहे हो!