हिन्दू वैवाहिक संस्कारों पर मंडराता खतरा
सोशल मीडिया के दिखलावटी जीवन से प्रभावित होकर लोगों का खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाज, रिश्ते-नाते और तौर-तरीकों में काफी बदलाव नजर आ रहा है, आज जिस प्रकार इंसान सोशल मीडिया में एक दूसरे की बराबरी करने और खुद को हाई स्टैंडर्ड का दिखाने की चाह में कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है यह जगजाहिर है, एक तरफ महंगाई-बेरोजगारी ने लोगों की कमर तोड़ी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ दिखावे की इस दौड़ में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग खुद को मिडिल क्लास दिखाने की जिद में लगे हुए हैं तो वहीं मिडिल क्लास लोग खुद को हाई स्टैंडर्ड का दिखाने की दौड़ में शामिल हो चुके हैं,
इसी देखा देखी की दौड़ में अब हमारे रिश्ते-नाते और रीति-रिवाज काफी प्रभावित हो रहे हैं। आज का यह लेख इसी सोशल मीडिया के दिखावे से प्रभावित हो रहे हिंदू विवाह पर आधारित है।।
हिन्दू विवाह संस्कार का संक्षिप्त परिचय
हिंदू विवाह जो की सात फेरों से लेकर सात जन्मों तक का सफर माना जाता है, इसमें कई रस्में और रिवाज होते हैं, भगवान गणेश की पूजा होती है, प्रधान दीपक जलाकर वातावरण को शुद्ध किया जाता है, हल्दी की रस्म होती है जिसमें बहन और बुआ वर/वधू को हल्दी लगाते हैं, महिलाएं शगुन आखर गीत गाकर देवताओं को आमंत्रित करते हैं, वर-वधु अग्नि को साक्षी मानकर एक दूसरे का जीवन भर साथ निभाने की कसमें खाते हैं, मंत्रोच्चारण के साथ वधू को वर की अर्धांगिनी बनाया जाता है।
लेकिन पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया की देखादेखी में विवाह संस्कार एक दिखावा बन कर रह गया है, इसमें बहुत सारी कुरीतियां और फिजूलखर्ची जुड़ चुकी हैं जिससे एक तरफ लोग संस्कृति से दूर हो रहे हैं और दूसरी तरफ कर के बोझ तले दबते जा रहे हैं।
हिन्दू वैवाहिक संस्कारों में जुड़ती हुई कुरीतियां।
सोशल मीडिया में देखा-देखी के चलते पवित्र हिन्दू वैवाहिक संस्कारों में बहुत सी कुरीतियां जुड़ती जा रही हैं जिसमें से कुछ मुख्य कुरीतियों पर हम आज चर्चा करेंगे
० हल्दी की रस्म पर दिखावे का बोलबाला
भगवान गणेश की पूजा के दौरान घर में प्रधान दीप जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है लेकिन पिछले कुछ समय से इस परंपरा का मजाक बनाने के कई मामले संज्ञान में आए है जिसमें आप सभी ने देखा ही होगा एक वैवाहिक कार्यक्रम में इंस्टाग्राम रील्स पर व्यूज पाने की चाह में दुल्हे को बियर से नहलाकर खुशी मनाई जा रही थी जिसपर काफी विवाद भी हुआ और लोगों द्वारा उस वीडियो को काफी शेयर भी किया गया था।
रील्स के इस दौर में एक दूसरे की देखा देखी और खुद को हाई स्टैंडर्ड अमीर दिखाने की चाह में अनोखे प्रयोग किया जा रहे हैं, इस रस्म की वीडियोग्राफी को उच्च स्तरीय दिखाने की चाह में फोटोग्राफरों द्वारा एक रंगमंच तैयार किया जा रहा है जिसमें एक दीवार पर पीले टेंट में “हल्दी” लिखे रंगीन बैकग्राउंडको सजाया जा रहा है जिसमें दूल्हा-दुल्हन के अलावा उनके सभी रिश्तेदारों को भी पीले रंग की ड्रेस पहन कर आना अनिवार्य कर दिया गया है।
० मेहन्दी की रस्म पर भी देखादेखी का दबदबा।
जैसा की हम सभी देखते आए हैं कि फोटोग्राफरों द्वारा अपने द्वारा बनाई गई वीडियो को हाई लेवल दिखाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाए जाते हैं उसी का नतीजा अब मेहन्दी में भी देखने को मिल रहा है
मेहंदी में हरे दंग के कपड़े पहनने का जो प्रचलन चल रहा है यहादमी की आमदनी पर अच्छा-खासा असर डालने वाला है और देखा-देखी किया गया यह काम लोगों को एक नई परंपरा से अवगत कराने जा रहा है।
मेहंदी और हल्दी की रस्म में एक अलग किस्म का ड्रेस कोड लागू कर लोग जाने-अनजाने में उन लोगों का मजाक बना देते हैं जिनके पास शादी-ब्याह के लिए 5-6 किस्म के कपड़े खरीदने की क्षमता नहीं है।
० प्रीवैडिंग शूट के बिना शादी अधूरी?
शादियों में हर व्यक्ति अपने से अधिक आय और स्टैंडर्ड के आदमी की नकल कर खुद को और अधिक आमीर दिखाने का प्रयास कर रहा है, इसी कड़ी में प्री वेडिंग सूट भी हिंदू विवाह का एक अभिन्न अंग बनता जा रहा है जिसके चलते शादी के खर्चे में लाख – डेढ़ लाख रुपए का खर्चा और जुड़ रहा है। इस प्री वेडिंग शूट के कारण मध्य वर्गी लोगों का भी कई महीनो का बजट गड़बड़ा जा रहा है।
कई मामलों में प्री वेडिंग शूट के नाम पर जो वीडियो बनाई जा रही है वह किसी A ग्रेड वेब सीरीज से भी अश्लील और अभद्र नजर आ रही हैं, जिसे शादी के दिन बड़ी LED स्क्रीन या प्रोजेक्टर के माध्यम से आमंत्रित लोगों को दिखाया जा रहा है, जोकि अशोभनीय है।
प्री-वेडिंग जैसी चीजों की आवश्यकता न होते हुए भी लोग इसपर फिजूलखर्ची करते हैं और अगर कोई इसे यादगार के तौर पर बनाना भी चाहता है तो कम से कम ऐसी वीडियो बनाए जिसे देखर शर्मिंदगी महसूस न हो।
० डीजे में फूहड़ गानों पर अश्लील नृत्य
हिंदू विवाह में जब से डीजे का प्रचलन हुआ है तब से विवाह संस्कार की जगल नाच-गाने का प्रोग्राम बनकर रह गया है आजकल डीजे में फूहड़ और अश्लील गानों में नाचने का भी एक ट्रेंड चल चुका है कई द्विअर्थीय शब्दों वाले गानों में आप बाप-बेटी, ससुर-बहू, भाई-बहन इत्यादि को ठुमके लगाते आप देख सकते हैं।
कई बार नाचने वालों को उन गानों का अर्थ ही पता नहीं होता है लेकिन उन लोगों को ऐसे अश्लील और द्विअर्थीय गानों में नाचते देख नई पीढ़ी के बच्चों के मन में उनकी क्या छवि बनेगी इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है।
सारांश
लेख में हिन्दू विवाह पर पिछले कुछ सालों में आए परिवर्तनों की चर्चा की गई अगर हम फिजूल खर्ची की बात करेंगे तो दर्जनों मुद्दे और भी हैं जिसमें दारू पार्टी, नानवेज पार्टी, स्पेशल पार्टी, शादी के लिए महंगे डिजाइनर कपड़ों की मांग, महंगी गाड़ी की सवारी, स्टोरी कल्चर, रिजॉर्ट कल्चर, ड्रेस कोड, बड़े कलाकारों के कार्यक्रम, नेताओं के लिए वीआईपी कार्यक्रम आदि शामिल हैं।
इन मुद्दों पर कभी अलग से बात करेंगे आज के इस लेख में हमने मुख्यतः सोशल मीडिया की देखा-देखी में पिछले कुछ सालों में बदलते रिति रिवाजों के तौर-तरीकों पर बात की तथा फेसबुक, इंसटाग्राम रील्स के कारण संस्कृति के बन रहे मजाक पर बात की जोकि अपने सामाजिक दायित्व को देखते हुए हमें महत्वपूर्ण लगा और उम्मीद करते हैं कि आपको लेख पसंद आया होगा और आप इसे शेयर भी जरूर करेंगे।
एक बार गंभीरता से सोचिए
क्या हमारी संस्कृति में विवाह के मौके पर महिला संगीत, हल्दी, मेहंदी, पार्टी, शादी इत्यादि के बीच में अलग -अलग रंग के कपड़े पहनने का डीजे में फूहड़ गानों पर नाच करने का, प्री वेडिंग के नाम पर फिजूल खर्ची करने का कोई इतिहास रहा है? क्या परिवर्तन के नाम पर हम अपनी मूल संस्कृति से इतनी दूर हो जाएंगे की मूल संस्कृति का ही ह्रास हो जाए?
इसका जवाब भले ही हम नां में दें परंतु जब इसपर मनन करने की बारी आती है तो हम इसे हल्के में लेकर इग्नोर कर देते हैं आखिर ऐसा क्यों?
***************************************