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चारधाम यात्रा में अब श्रद्धालुओं की नहीं बल्कि ब्लागरों भीड़?

चारधाम यात्रा । श्रद्धालु या ब्लागरों की भीड़?

देश के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की उमड़ती भीड़ को देखकर कई बार ऐसा महसूस होता है कि मानो हमारा देश बहुत अधिक धार्मिक हो चुका है, लोग धर्म के प्रति बहुत अधिक आकर्षित हो रहे हैं और उन्हें धार्मिक स्थलों में जाकर उसी परम आनंद की प्राप्ति हो रही है जिसके लिए ऋषि-मुनियों को हजारों
वर्षों तक तपस्या करनी पड़ती है।
जैसा कि हम सभी आजकल देख रहे हैं कि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू हो चुकी है, प्रतिदिन लाखों लोग उत्तराखंड आ रहे हैं और बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन कर रहे हैं।
जिससे प्रदेश में पर्यटक बढ़ने से हजारों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है और सरकार को भी काफी लाभ हो रहा है।
लेकिन इसी विषय पर कई लोगों का कहना है कि मंदिरों में 1% भक्त और 99% ब्लॉगर, यूट्यूबर और रील्स बनाने वाले इंफ्यूलेंसर पहुच रहे हैं।
आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे।

जानिए क्या है पूरा मामला ।

जब से उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हुई है तब से यहां प्रतिदिन लाखों लोग दर्शन के लिए आ रहे हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ है कि वहां पैर रखने की जगह नहीं है, इसी विषय को लेकर बहुत सारे वीडियो सामने आ रही है, वीडियोय दो तरह की आ रही है।

एक वीडियो उनकी है जो लोग वहां दर्शन के लिए जा रहे हैं और वहां की खूबसूरती, वहां के हालातों और चारधाम यात्रा की यादों को संजोकर खूबसूरती से प्रस्तुत कर यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपलोड कर रहे हैं जिनपर लाखों व्यूज आ रहे हैं और लोग उन वीडियोज को पसन्द कर रहे हैं, लाइक-कमेंट्स कर रहे हैं तथा खुद भी चारधाम यात्रा में जाने का मन बना रहे हैं।

लेकिन वीडियो का जो दूसरा वर्ग है इस विषय पर वीडियो बना रहा है कि यहां 1% ही श्रद्धालु है और 99% ब्लॉगर और इनफ्लुएंसर हैं, इस वर्ग के अनुसार भक्त वही है जो श्रद्धा भाव से चारधाम यात्रा में जाए, जिसको व्यूज से कोई मतलब ना हो जिसे अपनी यादों से कोई मतलब ना हो अर्थात जो व्यक्ति मन में श्रद्धा रखें और उसका दिखावा भी ना करें वही असली भक्त है, और यह दूसरा वर्ग भी अपनी इन बातों को वीडियो के माध्यम से ही बता रहा है जोकि फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर अपलोड की जा रही हैं और लोग उन वीडियो को भी काफी पसंद कर रहे हैं लाखों व्यू जा रहे हैं, लाइक-कमेंट्स आ रहे हैं।

इन दोनों वर्गों की वीडियो को अगर आप ध्यान से देखेंगे तो उनका मकसद स्पष्ट रहता है अपने फौलोवर बढाना।

चारधाम यात्रा में आ रहे लोगों में श्रद्धा है या नहीं?

चारधाम यात्रा के दौरान वीडियो और फोटो खींच रहे लोगों में श्रद्धा है या नहीं इस विषय को लेकर कई बार चर्चा होती है कई लोगों का कहना होता है कि ये लोग सिर्फ व्यूज और फॉलोअर बढ़ाने के लिए मंदिरों में आते हैं जबकि इनमें श्रद्धा बिल्कुल भी नहीं है।

परंतु हम इस बात का समर्थन नहीं करते हैं क्योंकि सिर्फ अगर व्यूज और फॉलोअर बढ़ाने की बात होती है तो ये लोग मंदिरों में नहीं जाते क्योंकि देश में लाखों ऐसे विषय और ऐसी जगहें है जहां से आसानी से व्यूज प्राप्त किया जा सकते है, आजकल तो सोशल मीडिया में गोबर फैला कर, एक दूसरे को आपस में लड़ाकर, गाली गलौज कर तथा द्विअर्थी बातें कह कर यहां तक कि राजनीति पर चर्चा करके भी लाखों-करोड़ों व्यूज बटोरे जा सकते हैं और फॉलोअर बढ़ाए जा सकते हैं परंतु ये लोग उस दिशा में न जाकर चार धाम यात्रा की तरफ जा रहे हैं, मंदिरों की तरफ जा रहे हैं जानते हैं क्यों क्योंकि इन लोगों में आस्था है, श्रद्धा है और उसी यात्रा की वीडियो बनाकर कोई अपलोड कर रहा है मतलब यात्रा के दौरान एक पंत दो काज हो जाए तो उसमें गलत क्या है?

चारधाम यात्रा में बढती भीड़ के कारण।

चारधाम यात्रा के दौरान बढती भीड़ के बहुत सारे कारण है जिनमें से सोशल मीडिया की देखा देखी प्रमुख है लेकिन इससे यह नहीं कह सकते हैं कि वे लोग सिर्फ दिखावे के लिए आ रहे हैं बल्कि इसका कारण यह है कि लोग सोशल मीडिया में भगवान केदारनाथ, बद्रीविशाल, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शनों की वीडियो देख-देख कर इतने उत्साहित हो गए हैं कि उनसे रहा नहीं जा रहा है, लोग एक बार दर्शन के लिए आने को उतावली हो जा रहे हैं और काम से छुट्टी पाते ही पहुंच जा रहे हैं दर्शन के लिए। सड़क कनेक्टिविटी और हेली सेवा के हो जाने से यात्रा पहले से बहुत ही सुगम हो गई है जिससे कोई भी व्यक्ति दर्शन करने के लिए आ सकता है।

चारधाम यात्रा में भीड़

कोरोना के लाकडाउन के बाद ज्यादातर कंपनियों ने अपने काम को आनलाईन माध्यम से “वर्क फ्रॉम होम” के पैटर्न में ढाल दिया है जिससे नौकरीपेशा युवाओं को काफी आजादी मिल गई है जिसे कारण वो देश के किसी भी कोने में बैठकर अपना काम कर सकते हैं और शनिवार-रविवार की छुट्टी का फायदा उठाकर वे लोग समय-समय पर केदारनाथ – बद्रीनाथ जाकर शांति व सूकून का अनुभव करना चाहते हैं।

चारधाम यात्रा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे

चार धाम यात्रा के दौरान वीडियो बनाने को लेकर कई लोग टिप्पणी कर रहे हैं, विरोध जता रहे हैं परंतु इस दौरान बहुत सारी गंभीर और गलत चीजें हो रही हैं उनकी बात कोई करना नहीं चाहता आखिर क्यों?

1- प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग – चारधाम यात्रा के दौरान प्लास्टिक का बहुत ज्यादा उपयोग हो रहा है जिसमें प्लास्टिक की बोतलें, प्लास्टिक के बर्तन, प्लास्टिक की थैलियां, प्लास्टिक के टेंट जैसी बहुत सारी चीजें इस दौरान प्लास्टिक की इस्तेमाल की जा रही है जो की प्राकृतिक दृष्टि से और धार्मिक दृष्टि से अनुचित है इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए लेकिन इस विषय पर कोई चर्चा करना नहीं चाहता।

2- हैलीकैप्टर का शोरगुल – सभी जानते हैं कि हिमालयी क्षेत्र में शोर-शराबा घातक होता है इससे पर्वतों की खिसकने का काफी डर रहता है इसके बावजूद हर 5 मिनट में एक हेलीकॉप्टर केदारनाथ क्षेत्र में उड़ता हुआ आपको दिखाई देगा इस पर प्रतिबंध लगने को लेकर ना तो शासन-प्रशासन गंभीर है और न ही वो लोग जो दूसरों की श्रद्धा पर टिप्पणी करते रहते हैं।

3- धार्मिक स्थलों में अंधाधुंध विनाश रुपी विकास – धार्मिक स्थलों में विकास के नाम पर जो विनाश किया जा रहा है जैसे पर्वतों को काटकर, नदियों को पाटकर, सैंसटिव भूखंड में बम विस्फोट से जो तबाही मचाई जा रही है, अनावश्यक सड़क चौड़ीकरण कर जिस प्रकार से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है वो कितना घातक है इसपर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है

4- घोड़ों और खच्चरों की दुर्दशा – चार धाम यात्रा में जाकर आदमी भगवान शिव को खुश करने तथा अपने लिए पुण्य कमाने की बात करता है परंतु इसी बीच वह अपने सुख-सुविधाओं के लिए खच्चर और घोड़े पर क्षमता से अधिक सामान लदवाकर उन्हें जो कष्ट देता है क्या उनके बावज़ूद भगवान शिव जिन्हें पशुपति भी कहा जाता है वो खुश हो पाएंगे?

5- वीआईपी दर्शन – धार्मिक स्थलों में जब तक वीआईपी कल्चर को समाप्त नहीं किया जाएगा तब तक आम इंसान भेड़ बकरियों की तरह लाइन पर लगे-लगे अपनी बारी का इंतजार करते रह जाएगा और कुछ लोग चंद पैसों का रौब दिखाकर भगवान को पा लेने का भ्रम साथ लेकर वापस आ जाएंगे।

6- शराब की उपलब्धता – धार्मिक स्थलों के आसपास नशे की वस्तुओं की उपलब्धता पूरी तरह से प्रतिबंधित होनी चाहिए कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत या व्यावसायिक रूप से नशे की समग्री के साथ पकड़ा जाता है या नशे की हालत में पकड़ा जाता है उसपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

निष्कर्ष –

ये कहना कि मंदिरों में 1% भक्त और 99% ब्लॉगर, यूट्यूबर और रील्स बनाने वाले इंफ्यूलेंसर पहुच रहे हैं कदापि उचित नहीं होगा क्योंकि जो ब्लॉगर-यूट्यूबर पर पहुंच रहे हैं वह भी कहीं ना कहीं आस्था की वजह से ही पहुंच रहे हैं अगर उन्हें सिर्फ व्यूज और फॉलोअर की जरूरत होती तो वे लोग अन्य रास्ते भी अपना सकते थे क्योंकि आजकल सोशल मीडिया में गोबर फैलाकर, राजनीति पर बहस करके, एक दूसरे को आपस में लड़ाकर, धर्म के नाम पर नफरत फैलाकर या गाली गलौज और अपशब्दों का प्रयोग करके भी व्यूज और फौलोवर बढाए जा सकते हैं लेकिन इन लोगों ने मंदिरों को चुना, धार्मिक स्थलों को चुना यह भी अपना आप में आस्था का ही एक प्रमाण है।

हां इतना जरूर है कि धार्मिक स्थलों की मर्यादा को बनाए रखने के लिए जो मर्यादित कपड़े और जो नियम वहां लागू होते हैं उनका प्रयोग करना चाहिए मंदिरों में फूहड़ता और जबरदस्ती का दिखावा करना, शोरगुल मचाना गलत है उसपर नियंत्रण जरुर होना चाहिए।।

error: थोड़ी लिखने की मेहनत भी कर लो, खाली कापी पेस्ट के लेखक बन रहे हो!