अल्मोड़ा-पिथौरागढ संसदीय क्षेत्र में आजादी के बाद से ही टनकपुर-बागेश्वर रेललाइन की मांग उठती रही है, हर बार चुनाव से ठीक पहले जनप्रतिनिधि इसके लिए बड़े-बड़े वादे कर वोट बटोरने का काम करते हैं लेकिन चुनाव के अगले साढ़े चार सालों तक यही जनप्रतिनिधि इस विषय पर मौन होकर राजनीतिक सुखों का आनंद उठाते हैं।
टनकपुर-बागेश्वर रेललाइन का झुनझुना चुनाव के दौरान दिखाया जाता है और हर बार सर्वे किए जाने की बात कहकर इस महत्वपूर्ण रेल प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है, इसी सर्वे और घोषणाओं के बीच यहां एक से बढकर एक दिग्गजों ने राजनीतिक सुखों का आनंद उठाया जिसमें दिग्गज भाजपाई मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व अध्यक्ष बची सिंह रावत,पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा और अजय टम्टा शामिल हैं।
अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के आरक्षित होने के बाद यहां का चुनाव अजय टम्टा V/S प्रदीप टम्टा के बीच सिमटकर रह गया है, एक बार प्रदीप टम्टा तो दो बार अजय टम्टा इस सीट से जीतकर दिल्ली में राजनीतिक सुखों का आनंद उठा चुके हैं, और इस बार फिर दोनों के बीच मुकाबला है और इस चुनावी माहौल में फिर से टनकपुर-बागेश्वर रेललाइन का झुनझुना दिखाया जा रहा है।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या हिमाचल की तरह हमारे पहाड़ों में भी रेल दौड़ पाएगी? या फिर साल दर साल चुनाव के दौरान ये सिर्फ एक मुद्दा बनकर रह जाएगा।।
उत्तराखंड के कुमाऊँ आंचल से जनान्दोलन को जन्म देने वाले युवाओं की सख्त आवश्यकता है लेकिन यहां पिछले कई दशकों से कोई भी ऐसा व्यक्ति पैदा ही नहीं हुआ है जिसने व्यापक स्तर पर किसी आन्दोलन को जन्म दिया हो।