एक तरफ बेरोजगार युवा दूसरी तरफ फर्जी डिग्री देने वाली युनिवर्सिटी
साथियो नमस्कार, ThePahad.com में आपका स्वागत है, आज हम बात करेंगे युवाओं की, उन्ही युवाओं की जिनको रोजगार दिलाने के नाम पर सरकारें हजारों करोड़ के विज्ञापन चलाकर वाह-वाही लूटती हैं, अगर वही युवा रोजगार मांगने लग जाए, अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर बैठ जाए, आन्दोलन करने लग जाए या धरना-प्रदर्शन कर दे तो सरकार को उनपर लाठी बरसाते देर नहीं लगती है, हजारों युवाओं ने रोजगार प्राप्ति के लिए Uttarakhand Open University से एक कोर्स किया और उसी कोर्स के आधार पर उन्हें अशोक लेलैंड कंपनी में नौकरी मिल गयी, कोरोना के बाद जब कंपनी को उनकी जरुरत नहीं हुई तो उन्हें ये कहकर नौकरी से निकल दिया कि ‘तुम्हारी डिग्री फर्जी है’, वही डिग्री जो Uttarakhand Open University ने दिया था, ये युवा पिछले 2 साल से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनकी ना तो सरकार सुन रही है और ना ही विश्वविद्यालय।
युवाओं का आरोप
पिछले 2 महीनों से धरने पर बैठे युवाओं ने बताया कि उनके साथ Uttarakhand Open University और अशोक लेलैंड कंपनी ने बहुत बड़ा धोखा किया है
धरने में बैठे राकेश पाण्डेय ने बताया कि “Uttarakhand Open University के भूतपूर्व कुलपति विनय कुमार पाठक जी द्वारा साल 2010-11 से एक डिप्लोमा कोर्स चलाया गया जिसे ना तो University से मान्यता दी गयी और ना ही कोई ट्रेड दरसाया गया, उस कोर्स को चलाने के लिए उन्होंने अपनी सहयोगी कंपनी स्मार्ट स्किल्स को नियुक्त किया और सिडकुल की अशोक लेलैंड, टाटा मोटर्स, मारुती सुजूकी आदि कंपनियों के साथ गोपनीय तरीके से MOU किया जोकि छात्र-छात्राओं से बचा कर रखा
स्मार्ट स्किल्स ने इन युवाओं को स्थाई नौकरी का आश्वासन दिया तथा ट्रेनिंग के नाम पर सभी छात्र-छात्राओं को इस बड़ी-बड़ी कंपनीयों के हाथ बेच दिया, जहाँ उन्हें तभी तक रखा गया जब तक कंपनी को उनकी जरुरत थी, कोरोना के बाद इन युवाओं को ये कहकर निकाल दिया गया कि तुम्हारी डिग्री फर्जी है, इस डिप्लोमा के आधार पर इन युवाओं को कही भी नौकरी नहीं मिल सकती है”
(नोट- ये शब्द धरने पर बैठे युवाओं के हैं thepahad.com ने उन शब्दों को बिना हेरफेर के लिखा है )
शासन-प्रशासन की मिलीभगत
सैकड़ों युवा पिछले 2 सालों से बेरोजगार होकर सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं और पिछले 2 महीने से सड़कों पर आन्दोलन कर रहे हैं, धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और Uttarakhand Open University पर फर्जी डिग्री देने तथा अशोक लेलैंड कंपनी पर बदसलूकी के इतने गंभीर आरोप लगा रहे हैं
इसके बावजूद शासन-प्रशासन उनकी मदद करने तथा इस मामले की जाँच करने से बचता हुआ नजर आ रहा है, इससे युवाओं के मन में संका पैदा हो रही है कि कही Uttarakhand Open University द्वारा दिए गये इस फर्जी डिग्री प्रकरण में शासन-प्रशासन की मिलीभगत तो नहीं है?
युवा प्रदेश में युवा और धाकड़ मुख्यमंत्री इस मामले में संज्ञान लें
इस प्रदेश में 2022 चुनाव के दौरान युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जीताने तथा दोबारा मुख्यमंत्री बनाने की बात इसीलिए कही गयी थी ताकि वो प्रदेश के युवाओं का दर्द समझ सकें और उनका निवारण कर सकें लेकिन कहीं से भी ऐसा नहीं लगता है कि मुख्यमंत्री धामी युवाओं को लेकर थोड़ा सा भी गंभीर हैं
मुख्यमंत्री जी को इसका संज्ञान लेते हुए अशोक लेलैंड और Uttarakhand Open University पर लगे फर्जी देने के इस मामले की जाँच करवाते हुए उचित कार्यवाही करनी चाहिए।
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